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भारत भूमि
प्रिय पाठकों… सादर नमन…! इस आलेख का शीर्षक है… भारत भूमि… और इसकी लेखिका हैं सारिका शर्मा जी… तो आइये पढ़ते हैं सारिका शर्मा जी द्वारा लिखित आलेख ‘भारत भूमि’…
कदा वयं हि लप्स्यामो जन्म भारत-भूतले।
कदा पुण्येन महता प्राप्यस्यामः परमं पदम्।
भागवतपुराण के अनुसार समूचे विश्व में भारत भूमि इतनी पवित्र है की, देवता भी यहाँ जन्म लेने की अभिलाषा रखते हैं, ताकि सत्कर्म करके वैकुण्ठ धाम प्राप्त कर सके। ऐसी पावन भारत भूमि को मेरा शत-शत नमन।
भारत एक विशाल राष्ट्र है, जहाँ विविध सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य जनसांख्यिकीय अन्तर वाले लोगों के बीच एकता देखी जाती है। मानो, विभिन्न प्रकार के फूलों को कुछ कारीगरी करके एक साथ मिलाकर उल्लेखनिय गुलदस्ता बना दिया जाए ठीक उसी प्रकार, भारत देश को प्रकृति द्वारा स्वतः ही विशिष्ट भौगोलिक पहचान उपहार स्वरूप प्राप्त हुई है, जो समुद्र और पर्वत ने तय की है। हिंद महासागर के मस्तक पर विराजमान भारत का केंद्रीय स्थान इसे एक महान रणनीतिक महत्त्व देता है और व्यापार, वाणिज्य को बनाए रखने में मदद करता है। वही उत्तर में स्थित गिरिराज की विशाल पर्वत शृंखलाएँ शीतल वायुराशीयों को रोक कर भारतीय उपमहाद्वीप को जाड़ों में अधिक ठंडा होने से बचाती है।
विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति से भी भारत को अनूठा वरदान प्राप्त है- भारतीय जीवन संस्कृति के मुख्य आधार स्तंभ है गौ, गंगा, गीता और गायत्री। बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक भारतीय समाज के कारण यहाँ पूरे वर्षभर हर्षोल्लास बना रहता है जिससे भारत एक सजीव पृष्टभूमि का स्वरूप पाता है। यही तो हमारे संविधान की खूबसूरती है-समानता, जो समूचे भारत को विशिष्ट राष्ट्र बनाये हुए है। हमारे उपनिषदों और वेदों में धरती, पर्वत, पहाड़, नदियाँ, जीव और पेड़-पौधे सभी को पूजनीय बना प्रकृती के प्रति आभार प्रकट करने का सौंदर्य सिर्फ़ यही देखने को मिलता है।
ऐतिहासिक धरोहर के साथ आज का स्वतंत्र भारत नित नए आविष्कार करके अपनी प्रतिष्ठा को शीर्ष पर रखे हुआ है। भारत ने विज्ञान, पर्यटन और तकनीकी के क्षेत्र में भी अद्भुत उपलब्धियाँ हासिल की है। अंतरिक्ष अनुसंधान, चंद्रयान मिशन, मंगलयान और इन्टरनेट के क्षेत्र में भी अपनी नई पहचान स्थापित की है। इन क्षेत्रों में मिली उपलब्धियों से भारत वैश्विक स्तर पर भी मज़बूत और विकसित राष्ट्र बन सामने आया है।
देश की एकता और अखंडता बनाए रखना हर भारतवासी का निजी कर्त्तव्य है।
“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।”
जय हिंद…! जय भारत…!
स्वरचित: सारिका शर्मा
वाराणसी
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