Table of Contents
बीते पल
बीते पल: सुरेश भडके
अब नहीं आयेंगे वह बीते पल,
जो साथ में थे कल———-,
हातोंमे-हात लिये उम्र गुज़ारी,
हसते खेळते जीन्दगी सवारी,
वो कल की बातोंका अब—-,
खत्म हुआ हैं, खेल————!
वो नज़ारे फुलोंके,
फुलोंके बहारोंके,
खुली हवामें झुलते झुलोंके
बागबान वह, छूने चले—
अंबरसे अवनी का तल——,
अब नहीं आयेंगे वह बीते पल—!
एक-एक करके साथ छोड़ चले वो
फलकपर झुमते पंछी की तरह,
पर गिनते रहें हम अकेले-
अब कैसे निकाले हल——-,
अब नहीं आयेंगे वह बीते पल,
जो साथ में थे कल———-!
वो दिन सुहाने थे मगर,
वक्तने लेली अंगड़ायी,
सांज सवेरे एकहि जीगर,
साथ चलेंगे, साथ जीयेंगे,
एक-दूसरेके बनेंगे हमसफर,
पर, तुम तो, चल पड़े निकल,
अब नहीं आयेंगे वह बीते पल,
जो साथ में थे कल———-!
जिन्दगी
नहीं भरोसा इस जीन्दगी का,
कल-कल, पल-पल थी जींन्दगी,
है जीन्दगी, रहेगी क्या पता नहीं,
कहते तो हैं, जीओ जीन्दगी—-
पल-पल पथ-पथ पर सूखसे,
ना ही डरो तुम दु: खसे,
कह दो ज़रा कुछ हमसे,
ये जीन्दगी, तुमतोबडी चालाक हो,
छीन लिया वह कल हमसे और,
दे दिया एक नया कल———,
जो आजसे कुछ अलग हो,
वो उम्र भी घट गयी,
बीते कल के साथ,
कुछ हुन्नर थी, वो बीते कल में
अब आनेवाला कल———
बेहतरीन कैसे होगा,
जरा तूही बता दे, ये जीन्दगी—,
तूम तो बड़ी चालाक हो——!
बालक-बालिका
फुलोंकी कलीका, बालक-बालिका
दिल बहलाये, मनको भाये,
यह जीवन दीपिका,
बालक-बालिका—————-!
फुलों जैशी महक है इनकी,
रंग-रुपमें चॉंद-सितारे,
अंबरसे निकले, अवनीपर पहुँचे,
रुप जैसा भगवान का,
यह बालक-बालिका————!
जीवन को महकाए,
सुगंध फुलोंका,
परमानंद जीवन का
बालक-बालिका————-!
जीवनानंद मिले अगर जीवनको
पल वह दिखायें, दु: ख भूलायें,
चिंता मिटायें, मायुशी हटायें
हसे-हसायें खेल-खेलमें,
सवारे क्षण जीवन का,
बालक-बालिका, फुलोंसी कलीका
सवाल ही सवाल
उम्र भर कितने सवाल जीन्दगी के
जबाब ना मिले तो-
ढुंढते रहे हम——,
मायुसीमें जल-जलके,
दिन ब दिन उम्र घट जाती,
मसले हल करते-करते,
कहॉं सुख, कहॉं चैन मिला,
पल-पल आॅसु बहायें—
आॅखे मुंद-मुंदके,
उम्रभर कितने सवाल जीन्दगी के!
बेरहम माहोल देखो कैसा,
चूसें खुन-पसीना जैसा,
मेहनत को कोई मोल नहीं,
भुखें पेटका सवाल ऊठे तो,
बदनाम हुये हम नामके,
उम्रभर भर कितने——
सवाल जीन्दगी के!
हातपसारें बैठे घरमें——
बिवी बाल-बच्चे,
मॉं-बापकी यहॉ गीनती कहॉं,
आधी रोटी मिले ना मिले वो,
हक्कदार सिर्फ़ कहनेंके,
उम्रभर कितने————-
सवाल जीन्दगी के!
हर सवाल का मिले जबाब,
यही चाहत हैं, हर जीवन की,
हांसी-खुशी कटे——-
उम्र हर किसी की,
साया ना रहें मायूशी का,
हर जीवन को सुलझें,
जबाब सवालों के,
सूख-दु: खतो आते जाते,
हात पकड़े सवालों के,
उम्रभर कितने——
सवाल जीन्दगी के!
बेटी तो बेटी होती है
बेटी तो बेटी होती है,
जी जानसे सबको चाहती हैं,
दिलवालोंको दिल लगाती—
यारों, बेटी तो बेटी होती है—!
एक बेटी कितने रीश्ते,
तन-मन सें सभी को जचते,
हर किसी को वह अपनाती,
फुलों जैसा दिल बहलाती,
बेटी तो बेटी होती———!
बेटी बचाना फ़र्ज हैं अपना,
बेटी पढ़ाना संस्कारोंका सपना,
लाड़ प्यारसे फलती-फुलती,
सोच समझकर आगे बढ़ती,
घर-बार, देशको अपनालेती,
बेटी तो बेटी होती है———!
धरती से आसमा तक,
बेटीने अपनी जगह बनाई,
दूर-दूरके चॉंद तारों को,
खोज़कर अपने घर ले आयी,
बेटी कहाॅ पीछे नहीं अब,
कदम-कदमसें आगे बढती,
खेल-कुद़में करीश्मा दिखाती,
दुनिया में अपना नाम कमाती,
सोनेसी मुस्कान हैं बेटी-
चंदन-सा सुगंध देती——
बेटी तो बेटी होती है,
जी जानसे सबको चाहती,
बेटी तो बेटी होती है——-!
बोझ
कितना बोझ उठाया अब तक,
कहूँ भी तो कैसे और किससे,
सब तो मेरे अपने थे———,
अब मैं ही बोझ, बन बैठा हूँ!
सांज होते होते—
वो सुरज ढलने चला तो,
दस्तक दिया अंधेरेने,
अॉख मिचौली होणे लगी,
धड़कने बढ़ने लगी तब—-,
रोशनी सुरज़की ख़त्म हुयी,
अब तो अँधेरा ही अंधेरा,
एक दीपक जलाये रखना ज़रूरी हैं,
अंधेरा तो जीवन की मग्रुरी हैं,
किसी और की मद़द कैसे करु,
मैं ही बोझ बन बैठा हूँ,
कल सुरज़ आयेगा पर-
वो उजाला, वो चमक, कहांसे लावु,
मैं आस लगायें बैठा हूँ!
हात ना छोड़ो, साथ ना छोड़ो,
संघर्ष समयसें करता हूं——!
मौलिक स्वरचित रचना,
इंसानियत
प्यार करे, परोपकार करें,
जीवन में अपने सुधार करें,
विधायक कार्य सें दिन भरें!
ईन्सान की ईन्सानियत——,
सगुण साकार करे वशियत,
ईन्सान ही भगवान का रूप हैं,
ईन्सान ही ईन्सान की पुजा करें तो
नज़दिक सुखकारक स्वर्ग हैं!
सुंदर स्वरुप, अंतर्मन शुद्ध हो तो,
तन-मन सें निर्मल हो ईन्सान,
सुख-दु: खका व्यवहार प्रेम से हो तो,
ईन्सान को यहीपर मिले भगवान,
भगवान के भी रूप अनेक,
जैसी श्रध्दा वैसा भेस,
मिले भगवान अपना, भाव देख,
कदम-कदम पर, भगवान खड़ा है
अज़माना चाहें तो, अज़मालो-
कण-कणमें भगवान का वास है!
मुखमें, वाणीमें, स्वरमें तथा सुर में,
गीतोमें, अक्षरोंमे स्तिमीत हैं, वह-
फुलोंका सुवास, फलोंका मिठ्ठास,
आता कहाॅ से हवा का मिज़ास,
मन चाहें तो अपनालें यहं,
ईन्सान-ईन्सानका अविरत प्रयास,
साफ नियतसें हो हर एक व्यवहार
नहीं होगा अनाचार-दूराचार,
मिले सुख-शांती, तो-
आनंदी जीवनको हो साक्षात्कार!
तजुर्बा
दिलने संभाल रखा था बचपना,
उम्रको तो हैं, तजुर्बेके साथ चलना,
तजूर्बे आगे-आगे और—
उम्र पीछे-पीछे चली,
दिलने संभाला बचपना, पर—
तजूर्बे बिना हात खाली,
मिले तजूर्बा तो जीवन सवारा,
फिर दिल का क्या कहना—
दिलने संभाल रखा था बचपना,
उम्रको तो हैं तजूर्बे के साथ चलना
तजूर्बे ने पुछा, कहाँ रखा है,
दिल तुम्हारा———,
कहाँ की दिल तो कहीं खो गया,
बचपना जो हमारा——,
कहीं प्यार-व्यारके झमेलेमें,
तो कहीं आपसी उलझनोमें,
दिल का बटवरां हुआ,
बट गया उस दिल का, क्या कहना
दिलने संभाल रखा था बचपना,
उम्रको तो हैं तजुर्बेके साथ चलना
तजूर्बे को तक़ाज़ा पल-पल का,
कहना तो हैं, बस होशियारी का,
जीन्दगी में जीना है तो,
तजूर्बे का ही साथ लेना,
दिलने संभाल रखा था बचपना,
उम्र को हैं तजूर्बे के साथ चलना,
दिलनें कभी जीवन सवार लिया,
तो कभी किसीपें वार दिया,
उस जीवन का क्या कहना—
दिलने संभाल रखा था बचपना,
उम्र को तो हैं, तजूर्बे के साथ चलना—————!
ऐ खुदा
तु आस-पास है, पर दिखता नहीं,
ये खुदा, मिल जाये तेरा पता कहीं,
उस पते पर आकर, “खुदा”
हम तुम्हारा शुक्रीया अदा करणे,
आयेंगे वही,
तु आस-पास है, पर दिखता नहीं
ये खुदा मिल जाये तेरा पता कहीं,
कितनी मुश्कीले आती-जाती,
तुमही तो हैं हमारे साथी,
हर मुश्किल कोआसान बनाते,
उलझते मनमे खुशीया समाती,
तु आस-पास है पर दिखता नहीं
ये खुदा मिल जाये तेरा पता कहीं!
वो हवा चले तो मैं हिल जाता,
कड़ी धूप पड़े तो, मैं तपता,
गीरे बारीश तो—-
मन ही मन भिग जाता,
यह तरेहि करमसें होता,
खेल अचरजका देख क्याँ कहीं,
तु आस-पास है पर दिखता नहीं,
ये खुदा मिल जाये तेरा पता कहीं!
मैं ढूँढता फिरु तुझे-
तुम मुझे बहलाते रहना,
जगह-जगह पर देख आया,
तु न मिला, तुम्हे क्या कहना,
बता दे ना कोई रास्ता सही,
भट़क न जाये मैं कही,
तु आस-पास है पर दिखता नहीं,
ये खुदा, मिल जाये तेरा पता कहीं!
तक़दीर
कुछ लोग अपने होते है,
कुछ अपनोंको पराये करते है,
चेहरा देखकर चेहरे बदलते,
वो लोग अपने, रंग बदल देते है,
प्यार का नामोनिशाण नहीं, पर—
प्यार का ढोग रचाते है,
कुछ लोग अपने होते है,
कुछ अपनोंको पराये करते है—!
मौसम बदलते समय-समय पर—
ईन्सान बदलते हालात देखकर,
सुरत को कौन नापता-
धन-दौलतपर जो मरते हैं,
कुछ लोग अपने होते है,
कुछ अपनोंको पराये करते है—!
न जाणे ईन्सान क्यों,
ईन्सानियत भुल जाते हैं,
मुश्कीलोंमे साथ छोड़कर,
अपना रुख बदल देते है,
सुख हो या दु: ख,
चाहें ग़म कितने भी हो,
इन्तजार न करें किसी का-
जो अपनी तकदिर, खुद बनाते है,
कुछ लोग अपने होते है,
कुछ अपनोंको पराये करते है—!
राह पर
चलते-चलाते जीवन की राह पर,
कुछ मिला, कुछ खो गया-
एक दिल था, किसी को, दे दिया,
चलते-चलाते जीवन की राह पर,
कोई प्यारासा मिल गया,
इसी प्यार के सहारे, जी रहे है,
कहते-सुनते कितनी राह कट गयी
पीछे मुड़कर देखा, तब पता चला,
बहुत दूर चले आये, पर—
म़झील मिलना बाक़ी हैं,
राह जीन्दगी की बड़ी खुषनुम़ा हैं,
कद़म-कद़म पर—-
खुशीया बाट़ते चले,
सहलिया वह दर्द कहॉं था?
वो तो जीन्दगी जीनेका,
एक अंदाज़ सम़ज़मे आया—,
चलते-चलाते जीवन की राह पर
कुछ मिला कुछ खो-खो गया—-!
चुन लिये कांटे तो—
रास्ते सुधारते चले,
हर एक मोड़ पर—
कोई अपना मिलता गया, उसे,
दिलसे अपनाया,
कहॉं सिकवा तो कहॉं गिला,
समज़में न आया,
कौन अपना और कौन पराया,
चलते-चलाते जीवन की राह पर,
कुछ मिला कुछ खो गया——!
खो जाने का गम़ नही, पर—
यांदे सताती है,
म़झील अभी भी दूर है,
तभी तो चलना ज़रूरी है,
कोई साथ में, आया न आया,
चलते-चलाते जीवन की राह पर,
कुछ मिला कुछ खो गया——!
बेजुबां
कुछ कहों तो, सुनता हूँ,
तुम ख़ामोश जो रहती हो,
तो, मैं बेजुबां हो जाता हूं—-!
मैं दिलसे तड़पता रहता-
तेरी आवाज़ सुननेको-,
कोयल जैसा स्वर तुम्हारा-
मैं गीतों में सजाते रहता हूँ,
कुछ कहों तो सुनता हूँ, ——!
साथ चले हैं, साथ रहेंगे,
हम सफ़र प्यार के परवाने,
जमाना चाहें जितना बदले,
हम कभी ना बदलेंगे,
यह वादा तुमसे कर रहा हूँ,
कुछ कहों तो सुनता हूं——!
दिल दिया तो, जान भी देंगे,
जमानेंसे हम ना डरेंगे,
चाहें जितनी मुश्किले आये,
हम आसान करते चलेंगे,
तुम कुछ बोलोगी तो,
समज सोच कर क़दम रखेंगे,
यही बार-बार सोचता रहता हूँ,
कुछ कहों तो सुनता हूँ,
तुम ख़ामोश जो रहती हो,
तो मैं बेजुबां हो जाता हूं——-!
पहिया
पहिया कालका चला-चला रे,
चलो कालके साथ रे——-!
क्यों रुकते हो, क्यों झुकते हो,
पल-पल सत्य के साथ चलो,
साथ तुम्हारे कोई हो न हो,
बोल प्रेमसे बोलो,
जो भी तुम्हारे साथ आया,
ले लो हात में हात रे,
पहिया कालका चला-चला रे,
चलो काल के साथ रे——-!
धर्म कैसा, अधर्म कैसा,
सोचो जाणो इसका मर्म रे,
जीवन के दो पहिये हैं,
छोडकर अधर्म,
धर्म के साथ चलो तो-
जीवन सफल होगा रे,
पहिया कालका चला-चला रे,
काल के साथ चलो रे——-!
धन की क्यों अभिलाषा धरते,
निर्धन भी सुखसे रहते हैं,
प्रहर दो प्रहर सुखसे सोते है,
धनवान के तो होश उड़ गये-
बोझ उठा-उठाकर चलते-
यारो धनिक कैसे थक गये,
देखो चैन भी अपणा खो गये,
भैय्या जब खाली हात आये-
खाली हात जाणा रे,
कर्म करो कुछ अच्छा तो-
सब दुनिया यांद करें,
पहिया कालका चला-चला रे,
चलो काल के साथ चलो रे—-!
रिमझिम-रिमझिम
रिमझिम-रिमझिम, सावन बरसे,
बदली आयी, तुम न आये,
काहे मन तरसे—————-!
बिन तुम्हारे दिन गुजरे, अब-
गुजर न पाये, रहे तन मन प्यासे,
भीग रहा हैं तन मेरा,
मन की प्यास कौन बुझाये—,
तरस रहीं हैं आँखें देखों-
नयना प्यासे-प्यासे,
रिमझिम सावन बरसे,
काहे मन तरसे—————-!
सूनी पडीं हैं राहें, कोई,
आन भी काम न आये,
नयना नीर बहाये——,
निगाहें बिछाये बैठी राह पर—
दूर कहीं घर से—
भीग गयी ऑंसुओ से,
बहुत मन तरसे,
रिमझिम सावन बरसे
बदली आयी तुम न आये,
काहे मन तरसे—————-!
दोस्ती
गिर पड़े थे, चलते-चलते,
हाथ दिया किसी ने
बच गये मरते-मरते!
मददगार था वो, जो
जीवन भर का दोस्त बना,
जाना-अनजाना
ना रिश्ते में था ना किश्ते में,
रस्ते का वह भी, एक मुसाफिर था
चल रहा था, हसते-गाते,
दोस्ती के लायक दोस्त मिला,
जिन्दगी जीते-जीते,
गिर पड़े थे चलते-चलते,
हाथ दिया किसी ने,
बचा लिया मरते-मरते!
दोस्त दोस्त होता है, जो-
सुख-दु: ख में काम आता है,
दर्द-ए-दिल को, बयाँ करने हेतु,
वही तो ठिकाना है,
कह ड़ालो कुछ़ भी, हसते-हसते,
या रोते-रोते, हाथ में हाथ,
मिलाये रखो हमेशा चलते चलते,
हाथ जो देगा, साथ जो देगा,
दोस्ती में जीते-जीते!
सुरेश भडके
नाशिक, महाराष्ट्र
यह भी पढ़ें-
1 thought on “बीते पल”