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गणतन्त्र दिवस : २६ जनवरी
प्रिय पाठकों… सादर नमन…! आज के इस आलेख का शीर्षक है ‘गणतन्त्र दिवस : २६ जनवरी’… जिसके लेखक हैं… वरुण राज ढलौत्रा… तो आइये पढ़ते हैं आलेख गणतन्त्र दिवस : २६ जनवरी…
अमर शहीदों के बलिदान से,
आज हम जीते हैं शान से,
उनके प्रयासों का ही परिणाम है,
तिरंगा लहरा रहा है आसमान में।!
प्रस्तावना:-
१५ अगस्त १९४७ के दिन हमारे राष्ट्र ने और इसमें रहनें वाले असंख्य लोगों ने आज़ादी की पहली सुबह देखी थी। ना जानें कितनें वीरों ने इस महायज्ञ में अपनें प्राणों की आहुति देकर भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलायी थी। इसके पश्चात् २६ जनवरी १९५० में भारत एक गणतंत्र के रूप में विश्व पटल पर अवतरित हुआ। जहाँ अब उसके पास अपना एक संविधान था, अपना कानून और अपनें नियम थे। एक प्रकार से कह सकते हैं कि भारत पूर्ण रूप से स्वतन्त्र होकर एक गणराज्य बना।
गणतन्त्र दिवस का इतिहास:-
गणतन्त्र दिवस प्रत्येक वर्ष २६ जनवरी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। वर्तमान में एक गणराज्य के रूप हमें ७४ वर्ष हो चुके हैं किन्तु इसका इतिहास हमारी आज़ादी से भी पहले का है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर पता चलता है कि प० जवाहर लाल नेहरू जी की अध्यक्षता में २६ जनवरी १९३० को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक अधिवेशन के बाद भारत ने स्वयं को एक पूर्ण स्वतंत्र देश घोषित किया और स्वयं को अंग्रेज़ी शासन से मुक्त कराने हेतू सक्रिय रूप से आन्दोलनों को आरम्भ किया गया। यह प्रथम अधिवेशन था जिसमें सर्वप्रथम हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया था। इन्हीं सक्रिय आन्दोलनों के परिणाम स्वरूप १५ अगस्त १९४७ में स्वतन्त्र होकर २६ जनवरी १९५० में भारत एक पूर्ण स्वतन्त्र यानी गणराज्य राज्य बना जिसे आज हम गणतन्त्र दिवस के रूप में हर्षोंल्लास के साथ मनाते हैं।
२६ जनवरी के दिन ही भारत देश का संविधान लागू किया गया था, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इसी तारीख को कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ था। संविधान सभा के अध्यक्ष डा० राजेंद्र प्रसाद थे और इस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा जी थे। संविधान निर्मित करने वाली कमेटी में कुल सदस्यों की संख्या २९९ थी, जिसमें सभी वर्गो और जातियों के सदस्य थे। भारत रत्न डा० भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा भारत का गौरवशाली संविधान बनाया गया जिसे अपनी सुंदर लिखावट से पन्नों पर उतारने का कार्य किया प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा। ०२ वर्ष ११ माह १८ दिन में यह ऐतिहासिक संविधान बनकर तैयार हुआ और २६ जनवरी १९५० को संविधान को लागू कर भारत को एक गणतंत्र घोषित किया गया।
गणतंत्र दिवस के माइने:-
प्रत्येक भारतीय नागरिक के जीवन में गणतंत्र के बहुत मायनें है। गणतन्त्र का अर्थ ही इस बात को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है। गणतन्त्र दो शब्दों से मिल कर बना है:- गण (जनता) +तंत्र (शासन) अर्थात् जनता का शासन, जनता के लिए, जनता के द्वारा।
संविधान प्राप्त अधिकारों में जनता को एक अधिकार प्राप्त है और वह है मतदान का अधिकार। जनता अपनें मत (वोट) का प्रयोग करके अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को भारत के महत्त्वपूर्ण पद पर बैठा सकती है, ऐसा संभव हो पाया क्योंकि यहाँ गणतंत्र है। इतना ही नहीं गणतंत्र में किसी का भी शासन हमेशा के लिए नहीं है और ना ही कोई इस पर एकाधिकार कर सकता है, यहाँ जनता ही स्वामी है जो किसी को भी उस पद पर आसीन करा सकती है।
गणतन्त्र दिवस पर विशेष आयोजन:-
इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में बड़े ही हर्ष से मनाया जाता है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है और राष्ट्र के नाम संदेश दिया जाता है। राजपथ पर राष्ट्र की तीनों सेनाओं (जल, थल, वायु) द्वारा परेड व सलामी दी जाती है। विभिन्न प्रांतों द्वारा आकर्षक झांकियाँ प्रस्तुत की जाती है जिनसे भारत की उपलब्धियों को दिखाया जाता है। स्कूल, कॉलेजों में देशभक्ति के रंगारंग कार्यक्रम, भाषण व अमर शहीदों की गाथाएँ गायी जाती हैं। इसदिन राष्ट्रीय अवकाश भी होता है। विद्यालयों में कार्यक्रमों के बाद मिष्ठान वितरण भी किया जाता है।
उपसंहार (निष्कर्ष) :-
हमारे राष्ट्र के संविधान की सबसे सुंदर बात यह है कि हमारे राष्ट्र का संविधान कईं देशों के संविधानों से मिलकर निर्मित हुआ है जिससे इसको बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि हमारें संविधान में सभी देशों की अच्छी बातें निहित हो जिनसे राष्ट्र कल्याण किया जा सके। यही बात इसको दूसरों से अलग बनाती है। भारत एक गणतन्त्र राष्ट्र है जिसमें संविधान द्वारा जनता को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी स्वेच्छा से अपनें मत का प्रयोग करते हुए भारत के सबसे बड़े पदों पर अपनी पसंद के चुने हुए प्रतिनिधी को बैठा सकती है। गणतंत्र में हमें संविधान द्वारा अधिकारों के साथ कर्तव्य भी प्रदान किये गये हैं परंतु यह विडम्बना ही है कि हमें अधिकार तो याद रहते हैं लेकिन कर्तव्यों को भूला दिया जाता है॥
इस आज़ादी का सम्मान करें हम
देश का ऊँचा नाम करें हम
भेदभाव के नाम पर भटकने ना पाएँ
देश का हर दिन बढ़ाएँ हम!
वरूण राज ढलौत्रा
सहारनपुर, यू०पी०
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