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इज्जत
इज्जत: अर्पणा दुबे
सुमित्रा देवी की एक बेटी थी जिसको वह बहुत ही प्यार करती थी वह अपनी बेटी को प्यार से तनु कहती थी सुमित्रा देवी का सपना था कि मेरी बेटी डॉक्टर बने उसी बीच तनु के पापा और माँ तीनो घूमने गए बाज़ार में तनु अपने माँ पिता जी से ज़िद कररही थी कि मुझे यह कपड़ा लेना है उसी वक़्त एक लड़का तनु को देखा और उसे पसन्द कर लिया।
फिर वह घर जाकर अपने माता पिता से बोलने लगा कि माँ तू बोलती थी की तू शादी करले तो उसकी माँ बोली हा बेटा क्यों तुझे लड़की पसन्द आई है क्या उस लड़के नाम राज था राज अपनी माँ से बोला हा माँ मैने एक लड़की देखी है जो बहुत ही सुंदर है उसकी माँ बोली की कहा की है राज बोला मुझे नहीं पता औऱ फिर उसी दुकान में दौड़ा-दौड़ा गया और उस दुकान वाले से पूछा कि अंकल वह जो लड़की कपड़ा लेने के लिए ज़िद कररही थी वह लड़की कहा कि है तो दुकान दार बोला की वह तो मास्टर जी की बेटी है तुम क्यों पूछ रहे हो तो राज बोला ऐसे ही आप उनका परिचय दे दीजिए दुकानदार बोला कि वह आपके लिए सही नहीं है।
वह लड़की कहाँ और आप लोग कहाँ लड़का बहुत पढ़ा लिखा था उसकी पूरी पढ़ाई बाहर से हुई थी लड़के के पिता जी बहुत पैसे वाले थे उस दुकान दार ने उस लड़के से बोला कि उन लोग यहा पास के गाँव के है और बोला वह में तुमको उनके घर ले चलू तभी राज बोला नहीं मैं बाद में जाऊगा आप उनका परिचय दे दीजिये फिर वह घर गया और घर जाकर अपने माँ से बताया कि माँ उनका परिचय मिल गया है और तुम पिता जी से बता देना माँ पूछी की बेटा उस लड़की के पिता जी क्या करते है राज ने कहा उसके पिता मास्टर है उनका घर उस दुकान के पास बाले गाँव में है।
राज की माँ ने सब बात उसके पिता से कह दी कि राज उस लड़की से शादी करना चाहता है लड़के के पिता ने इनकार कर दिया की हम उस गाँव की लड़की से शादी नहीं करेंगे क्योंकि हमारा बेटा बहुत पढ़ा लिखा है तभी माँ ने राज से कहा कि तुम्हारे पिता ने साफ़ इंकार कर दिए है राज ज़िद में अड़ गया कि मैं उसी लडक़ी से शादी करुगा वरना मैं शादी ही नहीं करुगा अपने कमरे में निराश हो कर राज बैठ गया फिर उसकी माँ राज के पिता से कहा कि राज ने खाना नहीं खाया है और अपने कमरे में निराश हो कर बैठ गया है कहता है मैं उसी लड़की से शादी करुगा तो उसके पिता जी ने यह सब बाते सुन कर शादी के लिए हाँ कर दिया।
वह अगले दिन मास्टर जी के घर अपने लड़के का रिश्ता लेकर पहुच गए मास्टर जी के यहाँ जाकर उनकी बेटी का हाथ मांगा फिर मास्टर जी इतने बाड़े आदमी का रिश्ता सुनकर आश्चर्य चकित हो गए और बोले कि मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि मेरी बेटी आपके घर बहु बनकर जाएगी मास्टर जी ने अपनी बेटी को चाय रखा कर बाहर भेजा और लड़के की माँ लड़की को देख। कर बहुत खुश हुई और बोली हमे रिश्ता मंजूर हैं और आप लोग शादी की तैयारी किजीये लड़की के पिता बहुत खुश हुए और तनु को देख कर सहलाते हुए शादी की तैयारी करने चले गए।
तभी तनु मन ही सोची की मेरी माँ का सपना था कि में डॉक्टर बनु और फिर तनु ने अपनी माँ से कहा कि माँ में एक बार उस लड़के से मिलना चाहती हु तभी तनु की माँ ने उसके पिता से कहा कि तनु एक बार उस लड़के से मिलना चाहती है पिता जी ने उस लड़के को बुलवाया लड़का अपने पिता के आया लड़के के पिता जी ने लड़की के पिता जी से कहा कि आप से मुझे ज़रूरी बात करनी है राज के पिता जी ने तनु के पिता से कहा कि आप मुझे दहेज में ३ लाख रूपये दीजिये इधर तनु और राज दोनों बात कर रहे थे तनु राज से आपने माँ के सपने के बारे में बताई राज बोला में सब सपने पूरे करुगा तनु बहुत खुश हुई और माँ से जाकर बोली कि माँ मुझे राज पसंद हैं।
राज और उसके पिता जी घर चले गए उनके घर जाने के बाद तनु के पिता जी सोच में पड़ गए कि मैं ३ लाख रुपये कहा से लाऊ लेकिन तनु की ख़ुशी को देखकर वह है बोल दिए कि में आपको ३लाख रुपये दे देगें फिर शादी की तैयारी में सब जुट गए और बड़े ख़ुशी के साथ शादी करने लगे राज भी बहुत खुश था बारात लेकर आये सब लोग राज भी बहुत ख़ुशी से तैयार हुआ और आगया मंडप के नीचे जब तनु आयी तो राज उसे देखकर बहुत खुश हुआ।
उस वक़्त राज के पिता जी ने बोला कि यही शादी रोक दो तभी राज देखते ही रह गया और बोला पिता जी आप को क्या हो गया हैं तभी वह तनु के पिता जी से बोले कि हमको एक कार चाहिए तभी आपकी बेटी से मेरा बेटा शादी करेगा वरना नहीं उसके पिता जी बहुत ही दुःखी हो गए लेकिन आपनी बेटी तनु को देख कर उन्होने फिर बोला कि में दे दूँगा और अपना घर गिरवी रख दिया और शादी धूमधाम से हुई और विवाह करवा कर बेटी को विदा किया जैसे ही बेटी ससुराल पहुँची तो आपन चप्पल उसी गाडी में छोड दिया और खाली पैर चली आई सब लोग पूछे कि तुम्हारा चप्पल कहा है लड़की अपने पति से बोली कि जाओ मेरा चप्पल लेकर आओ।
सब लोग देखते ही रह गए और बोले कि केसी बहु है लेकिन राज को एक भी शर्म नहीं आई और वह चप्पल लाकर दिया और तनु ने सबके सामने जवाब दिया कि मेरे ससुराल वाले तिलक लिए है तो मैंने उनके बेटे को खरीद लिया है फिर २ दिन बाद लड़की मायके गयी और उसके पिता जी एक झोपड़ी में रह रहे थे लड़की देखते ही रह गई और राज से कहा कि तुम जाओ मैं नहीं जाऊँगी आपके घर तो राज बोला मैं भी नहीं जाऊँगा और तनु के पिता जी का घर वापिस दिलवा दिया और वह भी रहने लगा राज के माता पिता जब राज को लेने आये तो उसने जवाब दिया कि में भीख मांगने वालों के घर नहीं जाऊँगा और जिस घर में मेरी पत्नी की इज्जत नहीं हैं उस घर में मेरी कोई इज्जत नहीं हैं।
सहारा
सबसे बड़ा यही सहारा
बनता है ये हाथ पैर
जब नहीं रह जाता पैर
इसी को बनाते अपना सहारा॥
एक समय की बात है, पिता जी और उनके बेटे घर पर रहते थे। पिता जी नौकरी में थे हमेशा अपने गाड़ी से अपने ऑफ़िस जाते थे एक दिन पिता जी की ऐक्सिडेंट हो गया तो पिता जी अपने बैसाखी वाली सायकिल से जाने लगे। फिर कुछ दिन बाद उनके बेटा मना कर दिए की पिता जी आप मत जाइए मैं रोज़ अपने कार से छोड़ दिया करुँगा और फिर मैं अपने ऑफिस चल दूँँगा।
कुछ दिन बाद पिता जी बेटे से बोले कि क्यों अब तुम्हारी शादी कर दी जाए तो हम दोनों को खाना बना कर खिलाएगी और घर का ध्यान रखेगी बेटा बोला नहीं पिता जी मैं शादी नहीं करुँगा क्योकि आज कल तो जानते ही है कि शादी होतें ही बहु बोलने लगती है अलग होना है और आपकी सेवा नहीं करेगी पिता जी बोले नहीं बेटा सब एक जैसी नहीं होती तूम परशान मत रहों होगया थोड़ी दिन में एक अच्छी-सी लड़की देख पिता जी शादी कर दिए हो गया।
कुछ दिन तक लड़की एक दम से अलग रहती थी और मन ही मन सोचे की यहाँ कोई नहीं रहते अच्छा नहीं लगता अपने ससुर से एक दम बात नहीं करती थी। चाय को दूर रख देती थी खाना दूर रख दे वह बैशाखी से या घिसल् कर खाना लेते लड़का एक दिन देख लिया और अपनी पत्नी को ख़ूब डाटा तो उसके पिता जी सुन लिए और बोले बेटा होगया चलता हैं लड़की बहुत रोइं और बोली की हम यहाँ नहीं रहेंगे इस बूढ़े का मैं कुछ नहीं करुँगी।
कुछ दिन बाद उसके पिता जी की भी यही हाल हुई और उसकी भाभी पहले बहुत करती थी पर जब उसके पिता जी गिर गए तो उसकी भी भाभी भी गुस्सा करें और हर समय उनको ताना दे मेरे से नहीं होगा। लड़की जब देखी की आज वहीं हाल मेरे पापा के साथ है तो मुझे बुरा लग रहा है कि मेरे पापा की साथ जब भाभी करती है ऐसा तो वह अपने भाभी को समझाई की भाभी आप क्यों ऐसा करती है पहले तो आप पापा जी को बहुत मानती थी आज पापा जी का पैर नहीं चल रहा तो आप ऐसा करती हैं।
उसकी भाभी बोली तुम अपने ससुर का सेवा करती हो जो मुझे दिमाक देती हो मुझे सब पता है क्योकि तुम्हारें पति मुझे सब बता दिए हैं मैं तुम्हें सब दिखा रही थी। मैं आज भी बहुत मानती हूँ पापा को और कल भी। तो तुम भी अपने ससुर को मानो और अच्छे से रहो जब लड़की अपने ससुराल गई और पिता जी को खाना खिलाना कपड़ा धुलना सब करने लगी तो उसके पति बहुत खुश हुए और बोले भाभी को बहुत-बहुत धन्यवाद जो आप के कारण आज मेरी पत्नी मेरे पिता जी को अपना मानी लड़के के पिता जी बोले बोला था आज नहीं कल सीख जाएगी। तो सब पहले से कोई नहीं सिखता।
बाप-बेटी
पिता जी का नाम रामबाबू और बेटी का नाम रेखा रामबाबू अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे उन्होंने अपनी बेटी को भरपूर शिक्षा दि और फिर पढ़ा लिखा कर रेखा की शादी कर दि रेखा की शादी में उसके पिता ने उसे बहुत सारा धन और समान देकर विदा किया और रेखा अपने ससुराल चली गयी वहाँ जाते ही उसके पति उसके साथ ग़लत व्यवहार करने लगे रेखा वहाँ घुट घुटकर रहने लगी।
रेखा अपने मायके आई तो उसके पिता ने रेखा से पूछा की बेटा वहाँ के सब लोग कैसे है रेखा मन ही मन सोची और बोली हाँ पिता जी वहाँ सब बहुत अच्छे हैं मुझे वहाँ सब बहुत खुश रखते हैं फिर अन्दर जाकर रेखा अपने बिस्तर पर बैठ गयी और रोने लगी तभी अचानक से उसके पिता जी अंदर आ गये और बोले की बेटा क्यों रो रही हो तभी रेखा आँसू पोछ कर बोली की ऐसे ही पिता जी और तैयारी करने लगी फिर अपने ससुराल चली गयी फिर उसके पिता ने उसे बहुत-सा धन देकर विदा किया।
रेखा के ससुराल पहुचते ही उसके ससुराल वालो ने उसका धन लूट लिया और रेखा के पति ने रेखा को मार कर रेखा से बोला की जा अपने बाप से धन लेकर आ रेखा रोने लगी और बोली की मेरे पिता के पास पैसे नहीं हैं वह कुछ नहीं कर सकते है दूसरे के मजदूरी कर के पाले हैं वह अब नहीं देगे जैसे ही रेखा मना की उसका पति उसे मार कर उसके मायके पहुँचा दिया और बोला की जब तक पैसा नहीं लायेगी मेरे घर मत आना रेखा के पास जीतने भी ज़ेवर थे उसे बेचकर अपने पति को दे दिया जब तक पैसा था रेखा को रखे रेखा कहती थी की मुझे मारो पर मेरे पिता जी से कुछ मत कहना वरना वह जीते जी मर जायेगे और जब धन ख़त्म हो गया तो रेखा के पति और सास रेखा के साथ फिर वैसा ही व्यवहार करने लगे।
रेखा बहुत रोने लगी तभी रेखा के पिता जी अचानक दरवाजे में खड़े होकर रेखा के साथ मार पीट की आवाज़ सुने तो अंदर जाकर रेखा-रेखा आवाज़ दिया रेखा दौड़ कर पिता जी के गले लग गयी और बोली पिता जी ले चलिये तभी रेखा के पिता बोले की मुझे सब पता है कि तेरे साथ क्या-क्या हुआ है रेखा अपने पिता जी के साथ घर आ गयी और वहाँ अच्छे से रहने लगी उसी समय रेखा के पिता जी के दोस्त आये और बोले बेटी यहाँ है कब से है तो रामबाबू बोले की ग़लत शादी कर दिया वहाँ रेखा खुश नहीं पैसा मागते है और मारपीट करते है और मारपीट करते है।
तभी वह दिमाग़ दिये की जब ये ग़लत हुआ तो आप इन दोनों को अलग कर दीजिये और बेटी से पूछ लीजिये रेखा बोली मुझे नहीं रहना उसके साथ में निशान देखे पूरे जगह निशान था पूछा ये क्या तो रेखा रोकर बोली अंकल उन्होंने मुझे मारे है तब ये सब देख कर रामबाबू के दोस्त बोले की मरी हुई बेटी से अच्छा है तलाक ले लो दूसरा कोई चारानही है समझोता किया हुआ रिश्ता ज़्यादा दिन चलते है बेटी को योग्य बना ये ख़ुद को पैर में खड़ी हो सके अपने खिलाफ आत्याचार होने में आवाज़ उठा सके।
राखी का त्यौहार
राखी का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है हर बहन अपने भाई को राखी बहुत खुसी-खुसी बाँधती है जब हम थे छोटे अपने भाई यो को राखी बाँधते थे और तोफे के लिए लड़ते थे जब आता है राखी का त्यौहार तो बचपन याद आजाता है जब भइया जाते है राखी के समय ससुराल लेने हर काम कॉज को छोड़ कर मायके जाने की तैयारियाँ करते है राखी के त्यौहार में हम अपने माँ बहन बुआ और सखियो से मिलते है।
गीता देवी के दो सांतन थे एक लड़की और एक लड़का वह अपनी बेटी को रानी और बैटे को राजा कहती थीं अपनी बेटी और बेटा से बहोत प्यार करती थी और जब सावन के महीने में रक्षाबंधन का त्यौहार आता था तो वह अपने दोनों बेटे और बेटी के लिए कपड़ा लाती थी गीता देवी दुसरो के घरों में काम करके अपने बेटी और बेटे को बहोत खुस रखती थी गीता देवी के पति को कैंसर होने से उनके इलाज़ के लिए पैसा न होने के कारण उनकी मौत हो गयी।
गीता देवी के पति की इच्छा थी कि इनके दोनों बेटे और बेटी को पिता का अहसास न होने देना गीता देवी के पति का कहना था कि मेरी बेटी को हर राखी के त्यौहार में अच्छा तोफा देना और उसकी शादी एक अच्छे घर में करना और हर राखी के त्यौहार में उसे बुलाना उसी समय से गीता देवी ने माँ के साथ-साथ पिता का भी फ़र्ज़ निभाया और दूसरो के घर मजदूरी करके दोनों बेटा और बेटी को कपडे लाकर देती, मीठे और रंग बिरंगी राखी लाकर देती और अपने सामने बैठा कर राखी का थाली सजा कर देती अपने सामने बैठा कर राखी बधवाती।
कुछ दिन वह अपनी बेटी की शादी एक रहिस ख़ानदान में करदी और शादी के बाद रानी अपने मायके बहोत कम आती जब कुछ त्यौहार होता था फिर अपने सासु से पूछती थी कि माँ मैं अपने मायके चली जाउ उसकी सासु माँ बोलती थी कि शादी के बाद कोई त्यौहार नहीं जो भी त्यौहार होता है अपने ससुराल में मनाओ उसी वक़्त रानी बोलती है कि सासु माँ मुझे ना दसहरा में जाना मायके नहीं ही होली में और न ही दीवाली में मुझे तो सिर्फ़ रक्षाबंधन में जाना है, जब मेरे भइया मुझे लेने आएंगे तो आप मना मत कीजियेगा।
उसकी सासु माँ ने कहा हा ठीक है उसके कुछ समय बाद राखी का त्यौहार आया तो रानी के माँ और भइया ने रानी को संदेश भेजवाये की तेरे भैया तुझे लेने आरहे है तो रानी अपने सासु माँ से कहती है माँ मुझको मेरे भइया लेने आरहे है तो उसकी सास बोली हा चली जाना उसी वक़्त रानी बहोत खुस हुई रानी ने भी सन्देस भेजवादी की आप मुझे लेने आ जाइये।
राखी के दिन पहले ही उसके भैया उसे लेने आये और रानी अपने भइया को देख कर हर काम काज छोड़ कर उनसे लिपट गयी उन्हें अंदर ले जाकर उनका स्वागत की और खाना खिलाई, और फिर खुसी-खुसी रानी तैयारी करने लगी और अपने सासु माँ को जैसे बताने गई कि माँ मैं जारही हु तभी उसकी सासु माँ मना करदी और बोली की नहीं जाना है तभी रानी निरास होकर अपने कमरे में चल दी उसी वक़्त रानी के ससुर आये और बोले कि बहु क्यू निरास हो, तभी रानी बोली बाबू जी माँ मुझे मायके नहीं जाने दे रही औऱ मेरे भाई लेने आये हैं, तभी रानी के ससुर बोले कि बहु तुम मायके जाऊँगी मैं तुम्हारी माँ को समझाता हूँ।
रानी के ससुर रानी के सास को समझाए औऱ बोले की रानी को मायके जाने दो और काम चिंता मत करो और खुसी-खुसी बेटी समझ कर विदा करदो दो चार दिन में तो आ जाएगी, और मेरे बहन आरही उनका खुसी-खुसी स्वागत करो, तभी वह वहाँ से उठ कर गई और बोली कि रानी जाओ और राखी करके वापिस आजाना मैं तुमसे मज़ाक की थी तुम निराश हो गयी, राखी का त्यौहार लड़की का सबसे बड़ा त्यौहार होता है।
रानी ससुराल से खुसी-खुसी मायके आई औऱ अपने माँ बुआ सखियो से मिली और मिलकर बहोत खुस हुईं, उसके वही पहले जैसे रानी के लिए राखी की तैयारी की और अपने सामने बैठा कर राखी बाँधवाई और फिर रानी से बोली कि ये तेरे पापा का सपना था कि हर राखी में तुझे बुलाऊँ और ऐसे ही राखी बाधे तू मेरे सामने रानी का आँख से आशु आगये और फिर रानी राखी बाधी और औऱ उसकी माँ पहले जैसे ही रानी और राजा के लिए कपड़े लाई।
रानी बोली ये क्या माँ, तभी राजा और उसकी माँ बोली तू कितनी बड़ी बो जायेगी लेकिन तू हमलोग के लिए वही रानी हैं जो बचपन में लड़ कर तोफे लेती थी। माँ बाप भाई के लिए बहन हमेशा छोटी ही रहती हैं और चाहें बेटी कितनी ही पैसा बालो के यहाँ क्यू न रहे बाक़ी मायके क़ा तोफा हमेसा हर कीमती चीज़ से बड़ी होती हैं।
अर्पणा दुबे
अनूपपुर मध्यप्रदेश
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