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आचार संहिता
इश्क मोहब्बत में कभी नहीं लगती देखी आचार संहिता,
राजनीति चुनाव में होती रहती आई है सदा आचार संहिता।
गरीब के घर में हर रोज़ होती है रोटी की आचार संहिता,
भुखा पेट सिकुड़ा बदन बढ़े बाल पर नहीं है आचार संहिता।
कपड़ा छत और चारपाई पर भी बैठी आकर आचार संहिता
फुटपाथ पर झोपड़ी पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
बर्तन बना फेरी लगाकर नहीं गुज़ारा उसपर आचार संहिता,
फिर इस धरती की मिट्टी पर क्यों चुप है आचार संहिता।
चौकीदार ने सब दरवाजों पर लगा दी है आचार संहिता,
चोर लुटेरे डाकू गैंगस्टर पर नहीं लगती आचार संहिता।
साहूकार ने गरीब किसानो को लगा रखी आचार संहिता,
मालिक के मालिक पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
नेता ने वोट खरीद मतदाता पर है लगा रखी आचार संहिता,
मजदूरों की शराब पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
महिला सुरक्षा सशक्तिकरण पर भी है आज आचार संहिता,
खान मनजीत कर प्रयास कि कभी ना लगे आचार संहिता।
नवरात्रि
ज्योत से ज्योत जगाते हुए,
माता रानी का नाम लेते हुए।
गुणगान करते हैं हम सब आपका,
सच करदे सपने नाम लेते हुए।
दुर्गा हो या कात्यायनी मदानन देवी,
काली मां, अंबे गौरी हो सब रूप लेते हुए।
लक्ष्मी माता हो चाहे चौगानन हो,
ध्यान तेरा शर्तें हर समय नाम लेते हुए।
संतोषी माता का संतोष हो,
सरस्वती माता संगीत का नाम लेते हुए।
नवरात्रि पर्व पर रख लेना पूरा ध्यान,
प्याज लहसुन का परहेज तेरा नाम लेते हुए।
खान मनजीत तू धर कर ध्यान,
नवरात्रि में ऐसा करें ना हो ग़लत काम।
ज्योत से ज्योत जगाते हुए,
माता रानी का नाम लेते हुए।
पग पग पर चलते हुए,
ध्यान आप सब का धरते हुए
माता माता रटते हुए।
विश्व रंगमंच दिवस
सारे संसार में हर नर नारी एक कलाकार है,
हर जगह मौजूद हैं रंगमंच साथ कलाकार हैं ।
शरीर अपना है और अभिनय किसी ओर का,
भूखा, भिखारी, गरीब सब के सब कलाकार हैं।
रंगमंच पर कोई नाटक करता, करता कविता पाठ,
कोई किसान की व्याथा गाता वह भी कलाकार है।
कोई बनता चोर, कोई बनता नेता, कोई बनता गरीब,
एक रंगमंच के ऊपर कितने छिपे हुए सब कलाकार है।
कोई कठपुतली से खेल दिखाता, कोई बनता मदारी,
गांव गाँव गली-गली में घुमे ये भी तो कलाकार है।
अभिनय किसी का भी हो वह चित्रण करता सदा यथार्थ,
सपना दिखाता बड़े-बड़े ख़ुद बनता छोटा कलाकार है।
अभिनय में सभी पड़ाव पर होकर गुजरती जिंदगी,
खिलाड़ी रंगमंच का, संगीत मेरा मित्र बिन इन कैसा कलाकार है।
हर किरदार में बसती रसती आत्मा से जीने की लत,
नृत्य में मैं, मेरे में नृत्य, सब समा जाने वाला ही कलाकार है।
खूबसूरती मेरी बनती पहनता हूँ जब मैं किरदारी कपड़े,
ताली में सब रम जाते सब में ताली तभी सब कलाकार हैं।
खान मनजीत भी रंगमंची करता रोज़ अलग-अलग रचना,
रचना में बसता रमता कहता सुनता सब करता कलाकार है।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा
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