
धर्मवीर भारती की जीवनी
धर्मवीर भारती की जीवनी पढ़ें – गुनाहों का देवता और अंधा युग जैसे कालजयी रचनाकार। हिंदी साहित्य के महान लेखक और संपादक का जीवन।
Table of Contents
धर्मवीर भारती: हिंदी साहित्य के कालजयी साहित्यकार
हिंदी साहित्य में कई ऐसे रचनाकार हुए हैं जिनकी लेखनी ने समाज और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। इनमें धर्मवीर भारती (1926–1997) का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। वे न केवल उपन्यासकार और कवि थे, बल्कि एक महान नाटककार, आलोचक और पत्रकार भी रहे। उनकी रचनाएँ प्रेम, संवेदना, सामाजिक यथार्थ और राष्ट्रभावना की गहरी अभिव्यक्ति करती हैं।
धर्मवीर भारती को हिंदी साहित्य में उनकी कालजयी कृति “गुनाहों का देवता” और प्रसिद्ध नाटक “अंधा युग” के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। उनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई ऊँचाई दी और पाठकों के हृदय में अमिट छाप छोड़ी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था।
उनके पिता का नाम चिरंजीवलाल भारती और माता का नाम श्यामा देवी था। बचपन से ही उन्हें पढ़ने-लिखने का शौक था।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
- 1940 के दशक में उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
- इसके बाद वे शोधकार्य से भी जुड़े और उन्हें पीएच.डी. की उपाधि मिली।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का वातावरण उस समय साहित्य और संस्कृति का केंद्र था। वहीं से धर्मवीर भारती के भीतर का लेखक परिपक्व हुआ।
साहित्यिक यात्रा की शुरुआत
धर्मवीर भारती ने साहित्य में कदम कविता लेखन से रखा। उनकी शुरुआती कविताएँ पत्रिकाओं में छपने लगीं। धीरे-धीरे वे हिंदी साहित्य की प्रमुख पत्रिकाओं से जुड़े और आलोचना, निबंध और कथा लेखन में भी सक्रिय हुए।
उनकी साहित्यिक यात्रा को तीन प्रमुख चरणों में देखा जा सकता है:
- काव्य और आलोचना
- उपन्यास और नाटक
- पत्रकारिता और संपादन
प्रमुख रचनाएँ और उनका महत्व
1. गुनाहों का देवता (1949)
यह धर्मवीर भारती का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। यह उपन्यास प्रेम, संवेदना और त्याग की गहरी कहानी कहता है।
चंदर और सुधा का प्रेम आज भी लाखों पाठकों को भावुक कर देता है। इस उपन्यास ने उन्हें लोकप्रियता की ऊँचाई पर पहुँचा दिया।
2. अंधा युग (1954)
यह नाटक भारतीय साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में गिना जाता है। इसमें महाभारत युद्ध के बाद का काल चित्रित है।
यह नाटक केवल पौराणिक कथा नहीं है, बल्कि आज़ादी के बाद के भारत की परिस्थितियों का प्रतीक भी है।
3. सूरज का सातवाँ घोड़ा (1952)
यह उपन्यास भारतीय समाज और संबंधों का गहरा चित्रण है। इसमें कहानियों का अनोखा ताना-बाना है।
4. कनुप्रिया (1950)
यह काव्यकृति राधा और कृष्ण के संबंधों की आधुनिक व्याख्या है। इसमें प्रेम, अध्यात्म और मानवीय भावनाओं का सुंदर मेल है।
5. ठेले पर हिमालय (1960)
इसमें भारतीय समाज और संस्कृति की गहरी झलक देखने को मिलती है।
6. पत्रकारिता
धर्मवीर भारती लंबे समय तक साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक रहे। उनके संपादन काल में यह पत्रिका देश की सबसे लोकप्रिय पत्रिकाओं में गिनी जाने लगी।
लेखन शैली और दृष्टिकोण
धर्मवीर भारती की लेखन शैली सरल, संवेदनशील और भावनाओं से परिपूर्ण है।
- वे आधुनिक हिंदी साहित्य में नई दृष्टि लेकर आए।
- उनकी रचनाओं में मानवता, प्रेम और करुणा की गहरी छाप है।
- वे प्रतीकों और रूपकों का अनोखा प्रयोग करते थे।
- उनके उपन्यासों में पात्र बहुत जीवंत और यथार्थपरक लगते हैं।
पत्रकारिता और सामाजिक योगदान
धर्मवीर भारती का साहित्य केवल किताबों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने पत्रकारिता में भी अमूल्य योगदान दिया।
- 1960 से 1987 तक वे धर्मयुग के संपादक रहे।
- इस पत्रिका ने हिंदी पत्रकारिता को नई पहचान दिलाई।
- धर्मयुग ने समाज, राजनीति, साहित्य और संस्कृति सभी विषयों पर संतुलित दृष्टिकोण रखा।
पुरस्कार और सम्मान
धर्मवीर भारती को उनके साहित्यिक योगदान के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1972) – अंधा युग के लिए
- पद्मश्री (1972)
- भारत भारती सम्मान
- विभिन्न विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियाँ
आलोचना और विवाद
हर बड़े लेखक की तरह धर्मवीर भारती को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
- गुनाहों का देवता पर कुछ आलोचकों ने कहा कि यह प्रेम को अत्यधिक भावुक बना देता है।
- अंधा युग को लेकर भी कुछ विवाद हुए क्योंकि इसमें राजनीति और समाज के तीखे सवाल उठाए गए।
लेकिन इन आलोचनाओं से उनकी प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं पड़ा, बल्कि वे और अधिक सम्मानित हुए।
धर्मवीर भारती का प्रभाव और विरासत
धर्मवीर भारती ने हिंदी साहित्य को मानवीय संवेदनाओं और आधुनिक दृष्टिकोण से समृद्ध किया।
- उन्होंने प्रेम को नया अर्थ दिया।
- उनकी रचनाओं ने युवा पीढ़ी को प्रभावित किया।
- पत्रकारिता में उनके काम ने हिंदी भाषा को नई लोकप्रियता दिलाई।
आज भी उनके उपन्यास और नाटक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं।
निष्कर्ष
धर्मवीर भारती का जीवन और साहित्य हिंदी भाषा के लिए अमूल्य धरोहर है। उन्होंने साहित्य को केवल शब्दों का खेल नहीं माना, बल्कि उसे समाज की चेतना का माध्यम बनाया।
उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
धर्मवीर भारती की जीवनी : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धर्मवीर भारती कौन थे?
👉 धर्मवीर भारती हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि, नाटककार और पत्रकार थे।
धर्मवीर भारती की प्रमुख रचनाएँ कौन-सी हैं?
👉 उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – गुनाहों का देवता, अंधा युग, सूरज का सातवाँ घोड़ा, कनुप्रिया, और ठेले पर हिमालय।
धर्मवीर भारती का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास कौन सा है?
👉 गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती का सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय उपन्यास है।
धर्मवीर भारती को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
👉 उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1972), पद्मश्री (1972) और भारत भारती सम्मान सहित कई पुरस्कार मिले।
धर्मवीर भारती पत्रकारिता से कैसे जुड़े?
👉 वे लंबे समय तक साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक रहे और हिंदी पत्रकारिता को नई पहचान दिलाई।
यह भी पढ़ें:-